Sunday 8 March 2015




महिला दिवस के मौके पर चुना वैराग्य का जीवन, डबवाली के इतिहास में पहली बार 
डबवाली--------
जिस उम्र में लड़कियां भविष्य के सुनहरे सपने संजोती है, अपने होने वाले जीवन साथी व घर परिवार को लेकर चिंतित होती है। उस उम्र में शहर निवासी गरिमा जैन ने अच्छी शिक्षा ग्रहण करने के बावजूद भी जीवन के सभी रंगीनियों को छोड़कर अपने लिए वैराग्य का मार्ग चुना है। यह एक ऐसा मार्ग है जिसे अपनाने के बाद श्रृंगार, गहने, सुंदर कपडे, खान-पान व जीवन के सब रिश्ते नाते भी पीछे छूट जाएंगे। गरिमा जैन की उम्र मात्र 24 वर्ष है।  मूलत: गांव सावंतखेड़ा के निवासी हैं।
डबवाली के इतिहास में पहली बार हो रहा है की कोई 24 वर्षीय लड़की वैराग्य का मार्ग चुन रही है वहीँ गरिमा जैन ने यह फैसला खुद लिया और वह खुद पोस्ट ग्रेजुएट करने के बाद भी जिन्दगी भर वैराग्य का मार्ग चुनने जा रही है
महिला को त्याग की मूरत कहा जाता है। त्याग की परंपरा बरकरार रखते हुए शहर में आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर एक युवती संसारिक बंधनों से मुक्त होकर सन्यासी बन गयी ।  अनाज मंड़ी में बैरागन बनी गरिमा का दीक्षा समारोह ऐतिहासिक बन गया ।शोभायात्रा  में गरिमा चार घोड़ों वाले रथ में सवार होकर अनाज मंडी में पहुंची ।
वहीँ खास बात यह भी है कि  गरिमा जैन ने  एमबीए, एमए पास है और पंजाबी, हिंदी तथा अंग्रेजी भाषा के साथ-साथ प्राकृतिक तथा उर्दू भाषा भी सीखी है। उन्हें जैन साध्वी करूणा को अपना गुरु मानकर दो वर्ष तक शिक्षा प्राप्त की। वहीँ अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर दीक्षा प्राप्त की । दीक्षा समारोह से पहले शनिवार को मेहंदी की रस्म अदा की गई।
वर्ष 1980 तक डबवाली में रहे व फिर संगरिया में कारोबार जमा लिया। बड़ी बहन चारू की शादी हो चुकी है व छोटा भाई हिमांशु बीसीए कर रहा है। गरिमा ने अंग्रेजी में एमए व एमबीए की पढ़ाई की है। इसके बावजूद मन में जीवन के प्रति वैराग्य आ गया है इसलिए जैन धर्म की दीक्षा लेकर साध्वी का चोला पहनने का फैंसला लेकर कठिन तपस्या भरा जीवन जीने का निर्णय लिया है। गरिमा जैन ने बताया कि उन्होंने बचपन में ही ठान लिया था कि वह शादी नहीं करेंगी और मदर टेरेसा के जीवन का अनुसरण करते हुए ताउम्र समाजसेवा करेंगी। वर्षों से परिवार जैन धर्म से जुड़ा हुआ है व इस दौरान जब जैन साध्वियों के सपंर्क में आई तो उनसे प्रभावित हुई।
 गरिमा जैन ने सभी के लिए संदेश देते हुए कहा कि यदि लोग नवंकार मंत्र के एक शब्द को भी अपने जीवन में उतार लें तो उनका जीवन बिना शास्त्रों को पढ़े ही सफल हो जाएगा।                    
बाईट-----गरिमा जैन

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