Saturday 7 March 2015

अतरराष्ट्रीय महिला दिवस ।महिलाओ की सुरक्षा पर ध्यान दे सरकार, आज भी महफूज नहीं महिलाए----वीमेनडे स्पेशल 
महिला दिवस पर ले प्रण - जागरूक होना भी जरुरी--डॉ0 उषा भट्टी       
मंडी डबवाली ----

भारत में नारी को प्रथम स्थान दिया जाता है । यह दिन महिलाओं को उनकी क्षमता, सामाजिक, राजनैतिक व आर्थिक तरक्की दिलाने व उन महिलाओं को याद करने का दिन है |इसी दिन महिलाओ को उनके ऊचें रुतबे के लिए सम्मानित किया जाता है
महिला सशक्तिकरण, महिला सुरक्षा, महिला भागीदारी आदि विषयों की सार्थकता तभी है जब देश और दुनिया की महिलाएं जाग्रत हो जाएं। केवल महिला ही एक एसी देवी है जो जिन्दगी के हर मोड़ पर बेटी, बहन, मां, दादी के रूप में नारी चार पीढिय़ों का पालन करती है। केवल कानून बना देने से ही समाज या महिलाओं का भला नहीं हो सकता है। इसके लिए हमें अपनी सोच को बदलना होगा। यह बात अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर जब हमने अलग अलग वर्ग की महिलाओ से बात चीत की तो उन्होंने अपने मत पेश किये 
वहीँ सच तो यह भी है की परिवार में महिला की सहभागिता होने से समाज का विकास होता है। इसके लिए महिलाओं का शिक्षित होना जरूरी है।साथ ही हर माता-पिता अपनी बेटियों को पढ़ाएं। बेटियों को समाज में पढ़ा लिखाकर उच्च शिक्षा प्रदान कराए। जब बेटियां उच्च पदों पर आसीन होगी तो हमारे गांव, क्षेत्र का नाम रोशन करेंगी। महिलाओं के बिना योगदान के विकास संभव नहीं है। महिलाएं हमारे समाज का अभिन्न अंग है। 
आज हर वर्ग पर महिलाओ की सदस्यता देखी जा सकती है समाज में उपजी सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक समस्याओं का निराकरण महिलाओं की साझेदारी के बिना नहीं पाया जा सकता ।  जब हमने इस मुद्दे को लेकर पुरे शहर में अलग लग जगहों पर जाकर महिलाओ, छात्रओं से बात की तो तमाम सवाल निकल कर सामने आये ------उन्होंने कहा कि आजादी  बाद भी महिलाएँ सामाजिक,आर्थिक और राजनैतिक रूप से पिछड़ी हुई हैं। महिलाओं पर हिंसा बढ़ रही है। यह हिंसाघरेलू हिंसा,काम के स्थान पर यौन हिंसा, बलात्कार,दहेज हत्या,कन्या भ्रूण हत्या,इज्जत के नाम पर हत्याएं व्याप्त है। सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने व महिलाओं को रोजगार उपलध करवाने की मांगकी गई।

आपको बता दे की भारत में भी महिला दिवस व्यापक रूप से मनाया जाने लगा है। पूरे देश में इस दिन महिलाओं को समाज में उनके विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है और समारोह आयोजित किए जाते हैं। वैसे अगर बात की जाये तो हर वर्ष हर महिला दिवस पर महिलाओं के लिए काम कर रहे कई संस्थानों द्वारा जगह-जगह महिलाओं के लिए प्रशिक्षण शिविर लगाए जाते हैं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। समाज, राजनीति, संगीत, फिल्म, साहित्य, शिक्षा क्षेत्रों में श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए महिलाओं को सम्मानित किया जाता है। कई संस्थाओं द्वारा गरीब महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
भारत में एक महिला को शिक्षा का, वोट देने का अधिकार और मौलिक अधिकार प्राप्त है। धीरे धीरे परिस्थितियाँ बदल रही हैं। भारत में आज महिला आर्मी, एयर फोर्स, पुलिस, आईटी, इंजीनियरिंग, चिकित्सा जैसे क्षेत्र में पुरूषों के कंधे से कंधा मिला कर चल रही हैं। माता-पिता अब बेटे-बेटियों में कोई फर्क नहीं समझते हैं। लेकिन यह सोच समाज के कुछ ही वर्ग तक सीमित है।

सही मायने में महिला दिवस तब ही सार्थक होगा जब विश्व भर में महिलाओं को मानसिक व शारीरिक रूप से संपूर्ण आज़ादी मिलेगी, जहाँ उन्हें कोई प्रताड़ित नहीं करेगा, जहाँ उन्हें दहेज के लालच में जिन्दा नहीं जलाया जाएगा, जहाँ कन्या भ्रूण हत्या नहीं की जाएगी
फिलहाल सभी पहुलओं पर एक नजर रखने के बाद  सवाल यही उठता है कि इस दिवस को सही मायनों में मनाने का फायदा तभी होगा जब महिलाए महफूज होगी, सरकारे समय के साथ महिलाओ की सुरक्षा के प्रति ठोस कानून बनाए और गंभीरता से ले,  समाज के हर महत्वपूर्ण फैसलों में महिलाओ के नज़रिए को महत्वपूर्ण तभी समझ सकते है जब उन्हें भी पुरूष के समान एक इंसान समझा जाएगा। जहाँ वह सिर उठा कर अपने महिला होने पर गर्व करे, न कि पश्चाताप कि काश मैं एक लड़का होती।

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