Thursday 26 February 2015

श्रीकृष्ण जन्म की झांकी में झूमे श्रद्घालु
मंडी डबवाली ---
'माता-पिता और गुरू की सेवा करने वाला ही स्वर्ग का अधिकारी है, मगर माता-पिता को कष्टï देने तथा गुरू के आदेशों की अवहेलना करने वाला बुद्घिमान होने पर भी ब्रह्मïराक्षस के समान होता है।Ó उक्त विचार गांव अहमदपुर दारेवाला की श्रीराधा-कृष्ण गौशाला में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह में बुधवार को कथावाचक मनोजा नंद शास्त्री ने व्यक्त किए। कथा के पांचवें दिन कथावाचन करते हुए उन्होंने कहा कि भागवत गीता की शिक्षाएं मानवमात्र के लिए महत्वपूर्ण है, इसके श्रवण पठन से सब दुखों का नाश होकर मोक्ष मिलता है और वह प्राणी बैकुण्ठ धाम को प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि भागवत गीता भगवान कृष्ण के मुखारबिन्द से निकली अमृतधारा है, जिसका लाभ इस कलयुग में भाग्यशाली को ही मिल सकता है, जो प्राणी इसका नित्य पाठ करता है उसे जन्म-मरण के बन्धनों से मुक्ति मिलती है। कथा के दौरान श्रीकृष्ण जन्म की भव्य झांकी निकाली गई। इसमें श्रीकृष्ण जन्म के बारे में श्रद्धालुओं को बताया गया। कथावाचक ने कहा कि श्रीकृष्ण का जन्म संसार से बुराइयों का नाश करने के लिए हुआ था। इस मौके पर मनीराम सहारण, विपन मुंदलिया, सुभाष कड़वासरा, राकेश घोयल, जगदीप सिंह, बिल्लू सुथार, अमनदीप रिवाडिय़ा व सुरेश कुमार सहित अनेक श्रद्धालु मौजूद थे।






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