Tuesday 10 February 2015

 एचपीएस सीनियर सैकण्डरी स्कूल शेरगढ में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस की ओर
से प्रदेश की पहली पेरेंटिंग व कैरियर गाइडलाइन वर्कशॉप
 मंडी डबवाली ----
एचपीएस सीनियर सैकण्डरी स्कूल शेरगढ में रविवार को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस की ओर से प्रदेश की पहली पेरेंटिंग व कैरियर गाइडलाइन वर्कशॉप हुई। इसमें दिल्ली में सैंटर फॉर कैरियर डवलपमेंट के निदेशक व कैरियर काउंसलर जितिन चावला व ओयूपी के एक्सपर्ट गौरव झा ने गाइडलाइन दी।
    कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए संचालक आचार्य रमेश सचदेवा ने कहा कि वर्तमान में कोई भी माता-पिता अपने बच्चे को अपने जैसा नहीं बनाना चाहता जिसका मुख्य कारण है असंतोष। उन्होंने कहा कि बच्चों के जीवन का आधार पढाई के दौरान यानी स्कूल का समय होता है। इसलिए इस दौरान अध्यापकों व स्कूल के साथ अभिभावकों की भूमिका बच्चे का कैरियर तय करती है। इसके लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की देश में सबसे पुरातन प्रैस की ओर से स्कूल में कार्यशाला हुई है। इस दौरान एक्सपर्ट जितिन चावला ने अभिभवकों व विद्यार्थियों के अनुभव जानकार और सवालों के आधार पर कार्यशाला के तहत जानकारी व प्रशिक्षण दिया। एक्पर्ट नितिन चावला ने कहा कि बच्चों की रूचि किसी न किसी क्षेत्र में अवश्य होती है। जिसको पहले अभिभावक और फिर अध्यापक पहचान कर उनके कैरियर को तय करना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्कूल और बच्चें अभिभावक से बच्चे परिणाम की ज्यादा उ मीद करते हैं। हालांकि वो एक स्तर तक सही है लेकिन इसके बीच में कहीं महत्वपूर्ण कड़ी है तो वह अभिभावकों की भूमिका है। इसके लिए अभिभावकों को बच्चे की रूचि को बढ़ावा देने, उससे उ मीद के अनुसार घर और समाज में वातावरण देने व उन्हें सिखाए जाने वाले अधिकतर चीजों को खुद अनुसरण करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि घर परिवार और स्कूल कॉलेजों में अब अधिकार ढर्रे पर चला जाता है लेकिन जीवन और दुनिया में समय के अनुसार वाइड चेंजिज आए हैं। उन्हें स्वीकार कर आगे बढ़ा जाए तो बेहतर परिणाम मिल सकते हैँ। उन्होंने कहा कि बच्चे को समय समय पर मॉटिवेट करना, कम डांट फटकार व क यूनिकेशन में सही और गलत की जानकारी देने के साथ उनका टाइम टेबल सैट करना चाहिए। साथ ही बच्चे को गैर जरुरी सुविधाएं उपलब्ध कराने की बजाय उसके कैरियर को ध्यान में रखकर संसाधन उपलब्ध कराए जाने की जरूरत है।
उन्होंने बताया कि किस प्रकार जीवन में इंजीनियरिंग की पढाई ही अच्छी नहीं अपितु कामर्स व आर्टस में अनेकों ऐसे क्षेत्र हैं जिसमें विद्यार्थी उच्चतम पद को पा सकता है। उन्होंने बताया की प्रशासनिक सेवाओं के लिए आटर्स ही सर्वोत्तम है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में कुल 78250 विधांए व कार्यक्षेत्र हैं जिनमें से किसी एक में भी माहरत हासिल कर नाम कमाया जा सकता है।
    विद्यार्थियों को पढाई को रूचिकर बनाने, एकाग्रता बनाने तथा निपुणता व सफलता हासिल करने के लिए उन्होंने अनेकों विधांए सुझाई व सिखाई। उन्होंने बताया कि किस प्रकार मोबाईल से दूर रहना, टेबल चेयर पर पढना, पढते-पढ़ते मेडिटेश्न करके खुद को तरोताजा किया जाता है।
    उन्होंने कहा कि विद्यार्थी को उसी विषय पर पढाई करनी चाहिए जिसमें उसकी रूचि हो क्योंकि सचिन यानी क्रिकेट खेलने वाले डाक्टर नहीं बन सकते वे किक्रेटर ही बेहतर हो सकते थे इसलिए आज हैं। इसी प्रकार पेंटिग करने वाला आर्मी नहीं जा सकता इसलिए विद्यार्थीयों व अभिभावकों को लक्ष्य को ध्यान में रखना चाहिए। उन्होंने बताया प्रत्येक बालक मेें कुछ न कुछ कर दिखाने का साहस होता है परंतु कमी होती है उसको आगे लाने में। जहां अभिभावक, अध्यापक व स्कूल की जरूरत होती है। ज्यादातर बच्चे इसके अभाव में अपनी जिंदगी में इन्हे आगे नहीं ला पाते ओर कैरियर में पीछे रह जाते है। इस दौरान ट्रेनर ने बच्चों व अभिभावकों का उत्साहवर्दधन करते हुए प्रतियोगिताएं कराई। जिसमें पहली बुझाकर आइक्यू परखा वहीं के माध्यम से सवाल जबाब पुछे और बच्चों व अभिभावकों ने सवालों का जबाब देकर अपने अपने कैरियर की जानकारी ली। अंत में सभी स्टाफ सदस्यों की विशेष कार्यशाला हुई जिससे उनके बीच विभिन्न प्रतियोगिताएं कराकर बच्चों से अध्यापकों की उ मीदें और बच्चों की रूचि पहचानने का प्रशिक्षण दिया गया। जितिन चावला ने कहा कि अध्यापक भी रोजाना के एक ही तरीके को बदलकर कुछ नए अंदाज में कक्षाओं की शुरुआत वच पढ़ाई कराऐं। इससे ओर ज्यादा सुधार मिलेगा। आक्सफाडर्ड की ओर से सबसे अधिक उत्तर देने वाले व भागीदारी करने वाले विद्यार्थियों व अभिभावकों को पुरस्कृत भी किया गया। इस मौके पर कमल कुमार, राम निवस सुधार, राम कुमार शर्मा, यादविन्द्र भाटी, सोनू बजाज, गिरधारी लाल गुप्ता, कुलविन्द्र सिंह व कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित हुए।

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