Friday 19 July 2013

 सरकारी दावे झूठे ...मज़बूरी पढ़ा रही है बच्चों को...,प्राथमिक और मिडल स्कूल में घुटता है बच्चों का दम ,कमरों की तंगी और सुविधाओं का अभाव | 

 कक्षा नहीं ,स्टोर रूम सब कुछ |

  GURVINDER PANNU
  SATKAR TV
***प्राथमिक पाठ्शाला में बच्चे 400 कमरे 3, मिडल में कमरे 2, बच्चे 200
***बच्चों को पढने में होती घुटन महसूस ,
**3 साल पहले हुआ था स्कूल का एजु सैट भी चोरी ,
**टीचर जेब खर्चे से रखे हुए स्वीपर
**खुले आसमान में बनता है मिड डे मील का खाना
*** खुले में सड़ रहा है मिड डे मील का अनाज
**ना पीने का पानी और ना ही लाइट की सही व्यवस्था
**बच्चों ने जताया खेद ,हमे भी चाहिए खेल का मैदान और सामान
**गर्मी होने के कारण बाहर ही लगती है क्लासे
** टीचरो ने भी माना जगह और कमरे ना होने के कारण हम भी हो चुके है बहरे
मंडी डबवाली :
एंकर रीड :
कहने को तो सरकार सर्वंशिक्षा अभियान के तहत जिले में कोई ऐसा स्कूल नहीं जहां सुविधाओं का अभाव हो लेकिन इस बात का सबसे बड़ा हैरान कर देने वाला सबूत यह कि मंडी
डबवाली के प्राथमिक पाठ्शाला  नबर 3 और मिडल स्कूल में ना ही तो बच्चों के बैठने के लिए कोई क्लास रूम है ना ही मिड डे मील के लिए शेड है और ना अनाज रखने के लिए स्टोर है ना किचन  बल्कि सब कुछ राम भरोसे ही है |यहां तक कि 400 बच्चों के लिए महज 3 कमरे है 
वायस ओवर 1:
एक मजबूत शिक्षा प्रणाली किसी भी देश के विकास और समृद्धि का आधार है | जहां एक ओर सरकार और शासन हर बच्चे को पढ़ाने के लिए दिन प्रतिदिन नई योजनाए बना रहा है, करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे वहीं स्कूल में हालात ये है कि कमरों और मैदान के अभाव में विद्यार्थी ना ठीक से पढ पा रहे ना ही बैठने के लिए जगह है बल्कि भेड़ बकरियों की तरह उन्हे मजबूरी से बैठ कर पढना पड़ता है | यहाँ तक कि इस तंग शिक्षित प्रणाली से पढ़ाने वाले टिचरो के कान भी बहरे हो चुके है| बस इस मजबूरी और गर्मी ने बच्चों को लाचार और सरकार के सर्वंशिक्षा अभियान के ड्रामे ने मजबूरी को पढने के लिए मजबूर कर दिया है|
वायस ओवर 2 :
स्कूल में हालत ये है कि जिस कमरे में क्लास लगती है वहीं बच्चे भी बैठते है और मिड डे मिल का राशन भी रहता है और किचन का सामान भी इतना ही नहीं बल्कि स्कूल का रिकॉर्ड भी यही रखा हुआ है जगह जगह बिजली की तारे नंगी पड़ी है और यह कभी भी किसी भी हादसे को अंजाम दे सकती है |ऎसे लागत है यह पाठ्शाला ना होकर भेड़ बकरियों का बाड़ा हो बस मजबूरी ही बच्चों को पढ़ा रही है |
वहीं बच्चों का मानना है कि उन्हें आज तक ना खेलने का समान मिला है ना ही मैदान बस वो यहा चारदिवारी में कैद है, ना उनकों टिचरो की समझ आती है ना टिचरो को हमारी ,हमे क्लास में पढते समय घुटन महसूस होती है और दम भी घुटता है |
वायस ओवर 4 :
यहा तक की बच्चों को पानी की बोतलें भी घर से लेकर आनी पडती है , अगर स्कूल में पानी आता भी है तो बेहद गर्म होता है,ना पीने के लायक बच्चों का कहना है कि पानी का स्वाद भी खारा हैऔर ना सेहतके लिए लाभदायक होता है | और ,बारिश आने पर स्कूल तालाब में तबदील हो जाता है |अध्यापक भी अपना पानी घर से लेकर आते है | ऎसे में सवाल यह उठता है कि जो बच्चे यह सबकुछ करने में असमर्थ है उन्हें इस मजबूरी को मानना पड़ेगा |
वायस ओवर 5 :
जहाँ सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च कर हर स्कूल में एजु सेट सिस्टम की शुरुआत की थी वो भी महज डकोसला नजर आता है , अगर बात करे इस प्राथमिक विद्यालय की तो यहा का एजु सेट सिस्टम भी 3 साल पहले ही चोरों की बलि चढ़ चुका है एफ आई आर दर्ज होने के बावजूद भी आज तक कोइ अता-पता नहीं लग पाया और ना ही नया दिया गया है ,बल्कि एजु सेट सिस्टम की ट्रॉली महज कूड़ेदान और किताबों का बॉक्स बन कर रही गयी | बल्कि अध्यापकों का यह भी कहना है स्कूल में कोई भी चौकीदार ना होने के कारण हर रोज़ कुछ ना कुछ चोरी जरूर होता है |
वायस ओवर 6 :
राजकीयकृत मिडल और प्राथमिक विद्यालय में मिड-डे-मिल का राशन भी खुले में पड़ा रहता है यह अनाज खुले में ही सड़ रहा और खुले में पड़ा है पैरों के निचे आ रहा है | ऎसे में अध्यापकों की भी मज़बूरी है कि वो अब रखे कहा क्योकि जहां क्लास लगती है वहीं सारा सामान भी होता इतना ही नहीं किचेनशेड के अभाव में धूल व कणयुक्त खाना खाने को छात्र विवश है। ज्ञात हो कि कलोनी रोड पथ पर स्थित विद्यालय में किचेनशेड न बनने के चलते मुख्य सड़क से सटे खुले मैदान में बन रहे मिड-डे-मिल में सड़क से जाने वाले वाहनों से उड़ने वाला धूलकण उड़कर बन रहे खाना में जा मिलता है। वही भोजन करने को छात्र विवश है। छात्राओं ने बताया कि ऐसा खाना खाते समय सड़क का धूलकण दातों तक किरकिर करता है। इसकी शिकायत हमलोग शिक्षकों से कई बार किये है। परन्तु सब लोग कहते हैं कि सरकार किचनेशेड नहीं बना रही है तो हमलोग क्या करें, बताया जाता है कि धूलकण युक्त खाना खने से छात्रों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जिससे कई बीमारियां होने की संभावना बनी रहती है।

वायस ओवर 7 :
वहीं जब खंड शिक्षा अधिकारी संत कुमार से बात की गयी तो उन्होने ने बताया कि हमारे पास कोइ भी शिकायत नहीं पहुँची है,बस इतना जरूर कहा कि वाक्य ही हालत चिंताजनक है | जबकि यह स्कूल शहर के अंदर है और यहा तक कि  यह स्कूल कार्यालय से महज 1 किलोमीटर दूर् है अधिकारी शहर में तो स्कूल जाँच कर ही सकते है लेकिन जब संत कुमार से इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने ने कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया बल्कि जगह का तंग होना ही बताया और कहा कि हम जिला शिक्षाअधिकारी से बात करेगें और जल्द ही मै भी इस स्कूल का दौरा करूँगा |


वायस ओवर  8:
वहीं प्राथमिक पाठ्शाला नबर 3 के मुख्य अध्यापक राजेन्द्र कुमार ने बताया कि हमे पढ़ाने में बहुत दिक्कत होती क्योंकि स्कूल में बच्चों के बैठने के लिए पर्याप्त  जगह नहीं है ना ही हमारे लिए कार्यालय है और ना स्कूल के पास मिड डे मील के लिए अनाज भंडार और किचनशेड नहीं है |हमारा अनाज भी खराब हो रहा है और पैरों के नीचे आ रहा है | ना ही कोई पीने के पानी कि व्यवस्था है हमे भी पानी घर से लेकर आना पड़ता है
हम सब काम अपनी जेब खर्च से कर रहे है और आज 3 साल बीत जाने के बाद भी हमे एजु सैट नहीं मिल पाया है और ना ही कोई स्वीपर और चौकीदार दिया गया बल्कि और सभी स्कूलों के पास पार्ट टाइम स्वीपर है और एजु सैट चौकीदार है जिसकी वजह से हमारे यहां हर रोज़ चोरी होती है और हमारी कोई भी सुनवाई  नहीं हुई है | 

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