बेटी बचाने में गाँव मोड़ी ने बनाया रिकॉर्ड, सरकार के पास नहीं पढ़ाने का दम
बेटी बचाने के मामले में खंड डबवाली का छोटा सा गांव मोडी
पूरे जिला सिरसा को नसीहत दे रहा है। वहीँ दुसरे सभी गाँवो में लिंगानुपात
बेहद शर्मनाक है। लेकिन मोड़ी गाँव में एक जनवरी 2014 से 31 दिसंबर 2014 तक
गोरीवाला पीएचसी के तहत आने वाले गांव मोड़ी का लिंगानुपात 1000 : 2333 है।
नौ बेटों के जन्म पर 21 बेटियों ने जन्म लिया है।जोकि अपने आप में बेमिसाल
है उपमंडल में सबसे ज्यादा लिंगानुपाते वाले गांव में मोड़ी गाँव ने सिरसा
जिले के लिए एक जागरूकता और बेटी बचाओ अभियान में दुसरे गाँवो को नसीहत दी
है
खंड के छोटे गांवों में शुमार शामिल मोडी में करीब 150
परिवार रहते हैं। जिनकी आबादी 2 हजार है। इनमें आधे से अधिक परिवारों में
दो से ज्यादा बेटियां है। ग्रामीणों में धार्मिक जागरूकता के चलते बेटियों
के जन्म पर भी खुशी मनाई जाती है और पालन पोषण व शिक्षा में भी अभिभावक
बेटियों को महत्व देते है जिससे गांव में बेटियों को लिंगानुपात वर्ष 2014
में बेटो के मुकाबले 233 प्रतिशत रहा है।
इसी प्रकार गांव के राजकीय स्कूल में बेटियों की संख्या बेटों
से ज्यादा है। स्कूली शिक्षा के साथ खेलों में भी गांव की बेटियां अव्वल
है और पिछले वर्ष जिला व प्रदेश स्तर पर गेम्स में कई छात्रा खिलाड़ियों ने
हिस्सा लिया। जिनमें दो छात्राओं को 30-30 हजार रुपये का पुरस्कार मिला
है।ग्रामीणों ने बताया कि बेटियों को गांव में 8वीं तक का स्कूल होने से
आगे पढ़ाने में परेशानी हो रही थी। जिससे सभी ने एकजुट होकर एक ऑटो फिक्स
किया है। जो रोजान 9वीं से 12वीं तक की छात्राओं को गांव से बैठाकर
गोरीवाला के स्कूल में ले जाता है और वापस लाता है। जिससे अधिकतर बेटियां
उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही है। लेकिन अभी तक गांव की किसी बेटी को रोजगार
नहीं मिलने से निराशा है।
सुविधाओं का है अभाव----
जहाँ इस गाँव ने पुरे सिरसा जिले को एक तमाचा मरते हुए भ्रूण
हत्या पर रोक लगाने का सन्देश दिया है तो वहीँ यह गाँव आज भी विकास के
मामले सभी गाँवो से पिछड़ा हुआ है गांव में पंचायतघर के लिए बने राजीव गांधी
केंद्र में आंगनबाड़ी चलाई जा रही है। जिसका मेन गेट टूटा है जबकि शौचालय
खस्ताहाल पड़े हैं। यहां स्थापित आंगनबाड़ी वर्कर शहर से आने के कारण
आंगनबाड़ी अक्सर बंद रहती है। गांव में जलघर नहीं है और गांव मुन्नावाली
से दो दिन बाद सप्लाई दी जाती है। जिससे ग्रामीणों को पास से बहने वाले नहर
से पानी भरकर काम चलाना पड़ रहा है। बिजली कट से भी ग्रामीणों परेशान हैं
और दिनभर मे महज 3 घंटे ही बिजली आती है। यहां बस स्टैंड की भी सुविधा नहीं
है। जिससे बसों के लिए पेड़ों की छांव में रुककर इंतजार करना पड़ता है।
गांव के लोग बेटा बेटी में कोई फर्क नहीं समझते और भ्रूण
हत्या के पूर्ण तौर पर खिलाफ हैं। जिससे बेटियों की संख्या सबसे ज्यादा है।
गांव में आमजन को जागरूक करने के लिए प्रशासन से भी मांग की जाती है लेकिन
कोई सुनवाई नहीं हाेती। हमने बेटियों के लिए हाई स्कूल, खेल मैदान, रोजगार
के अवसर देने व जलघर बनाने के लिए कई बार प्रस्ताव प्रशासन व सरकार को
भेजे हैं लेकिन कोई मांग पूरी नहीं की गई।
गांव में अधिकतर मजदूर वर्ग के लोग होने पर भी लोग खुशहाल
हैं। यह बेटियो का ही आशीर्वाद है। गांव के 50 प्रतिशत से अधिक परिवारों
में 3 से अधिक बेटियां है। बेटियों के प्रति बेहतर सोच से गांव में हमेशा
से रही है। कई जगह ये बेटों की चाहत हो सकती है लेकिन अधिकतर जगह बेटियो
का दुलार ही है।
गाँव के जंगीर सिंह पूर्व सरपंच ने बताया कि हमारे गाँव में
भ्रूण हत्या पर रोक है और पूरा गाँव बेटी को ज्यादा तवजो देता है कोई भी
यहाँ पर पीछे नहीं है सभी लोग बेटियों को बेटो की बजाए ज्यादा प्यार देते
है यही कारण है की हमारे गाँव ने सिरसा जिले में अनूठा रिकॉर्ड हासिल किया
है
वहीँ एस एम् ओ एम् के भादू ने बताया कि वाक्य ही गाँव मोड़ी ने
पुरे डबवाली के लिए बेटी बचाओ अभियान में नसीहत दी है और यह सब गाँव की
जागरूकता का परिणाम है और हमने भी हमारी तरफ से खास ध्यान दिया हुआ है और
अब भी स्वस्थ्य विभाग गाँव पर स्वाथ्य सुविधाओ पर ध्यान रखा जायेगा
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