धान की बिक्री न होने से किसान और आढती परेशान
gurvinder pannu
मंडी डबवाली की अनाज मंडी में आज से धान की खरीद का काम शुरू हो चूका है लेकिन सुविधाओ के आभाव में किसानो की मुशकले कम होने का नाम नही ले रही ,भलें ही मंडी में चहल पहल लौट आयी आखिर एक अन्तराल के बाद किसान अपनी फसल लेकर लौटा है लेकिन अपनी फसल की बिक्री न होने से निराशा ही हाथ लगी है
आलम यह की किसानो को अपनी अच्छी किस्म बासमती 1121 मुछल का धान मंडी में न बिकने के कारण पंजाब में लेकर जाना पड रहा है जिससे आढ़ती और लेबर सहित किसान को भारी घाटा उठाना पद रहा है वहीँ दूसरी तरफ सर्कार के राजस्व को भी घाटा लग रहा है
इसे में किसान के पास कोई भी चारा नही है की वो यहाँ से पलायन न करे अब उनको अपना धान बेचने के लिए पंजाब में जाना पड रहा है ,जिससे किसान को जयादा खर्च उठाना पड़ता है और किराया भी अधिक लगता है
वहीँ आढ़तियो का भी यही कहना है की उनको भी भारी नुकसान हो रहा साथ ही उनका किसान भी परेशान है दूसरी तरफ लेबर को भी काम नही मिल रहा अगर आढ़तियो की मने तो 70 से 75 फीसदी धान इसी किसम का किसान लेकर आता है लेकिन यहाँ पर खरीद न होने से उसे वापिस दूर जाना पड़ता है |
पिछली बार की तरह इस बार भी मंडी में धन की आवक तो बहुत है लेकिन बिक्री न होने का सिलसिला ज्यों का त्यों है इसे में न ही तो कोई निजी कम्पनी खरीद कर रही न ही सरकार की तरफ से कोई बिक्री की जा रही जिसके चलते किसानो को तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड रह है
मंडी डबवाली की अनाज मंडी में आज से धान की खरीद का काम शुरू हो चूका है लेकिन सुविधाओ के आभाव में किसानो की मुशकले कम होने का नाम नही ले रही ,भलें ही मंडी में चहल पहल लौट आयी आखिर एक अन्तराल के बाद किसान अपनी फसल लेकर लौटा है लेकिन अपनी फसल की बिक्री न होने से निराशा ही हाथ लगी है
आलम यह की किसानो को अपनी अच्छी किस्म बासमती 1121 मुछल का धान मंडी में न बिकने के कारण पंजाब में लेकर जाना पड रहा है जिससे आढ़ती और लेबर सहित किसान को भारी घाटा उठाना पद रहा है वहीँ दूसरी तरफ सर्कार के राजस्व को भी घाटा लग रहा है
इसे में किसान के पास कोई भी चारा नही है की वो यहाँ से पलायन न करे अब उनको अपना धान बेचने के लिए पंजाब में जाना पड रहा है ,जिससे किसान को जयादा खर्च उठाना पड़ता है और किराया भी अधिक लगता है
वहीँ आढ़तियो का भी यही कहना है की उनको भी भारी नुकसान हो रहा साथ ही उनका किसान भी परेशान है दूसरी तरफ लेबर को भी काम नही मिल रहा अगर आढ़तियो की मने तो 70 से 75 फीसदी धान इसी किसम का किसान लेकर आता है लेकिन यहाँ पर खरीद न होने से उसे वापिस दूर जाना पड़ता है |
पिछली बार की तरह इस बार भी मंडी में धन की आवक तो बहुत है लेकिन बिक्री न होने का सिलसिला ज्यों का त्यों है इसे में न ही तो कोई निजी कम्पनी खरीद कर रही न ही सरकार की तरफ से कोई बिक्री की जा रही जिसके चलते किसानो को तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड रह है
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