Saturday 7 September 2013

 आखिर क्यो युवा वर्ग हुआ अपराध का शिकार
 क्या हमारी सोच में कहीं खोट है ?

देश का भविष्य माने जाने वाला युवा वर्ग आज अपराध के दलदल में धंसता जा रहा है। आज बहुत कम युवाओं में भाग्य व कर्म के भरोसे रहने का स्वभाव पाया जाता है। अब युवाओं में न तो संस्कार है और न ही सहनशीलता। धन ही सब कुछ हो गया है। धन ही स्टेटस सिंबल बन गया है। आज का युवा वर्ग ढेर सारी भौतिक सुख-सुविधाओं के बीच जीवन व्यतीत करने का आदी हो चुका है और वह इससे भी ज्यादा भौतिक सुख-सुविधाएं हासिल करने की अंधी दौड में शामिल है। अपने लक्ष्य को पाने एवं शिखर पर पहुंचने के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगाने आतुर रहता है। उद्दंडता, उच्छृंखलता और अनुशासनहीनता आज बिल्कुल सामान्य हो गई है। शराब-सिगरेट पीना, मादक दवाएं लेना, गुप-चुप सैर सपाटा, अचानक स्कूल से गायब हो जाना, साइबर कैफे जाना आम बात हो गयी है। साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, आधुनिक संस्कृति, मनोवैज्ञानिक एवं पारिवारिक कारक भी ऐसे हैं जो अपराध की ओर उन्मुख करते हैं। नैतिकता का स्तर नीचे गिरता जा रहा है । अपराध पारिवारिक गरीबी और बेरोजगारी के कारण भी होते हैं। आज का युवा पीढ़ी शिक्षित होने के बावजूद बेरोजगार है क्योकि आज नौकरी के लिए शिक्षा और योग्यता से कहीं ज्यादा रिश्वत और सिफारिश को अहमियत दी जाती है। ऐसी स्थिति में जब शिक्षित व योग्य युवा अपने सामने अयोग्य उम्मीदवारो को नौकरी प्राप्त करते देखते हैं तो उनमें आक्रोश जन्म लेता है। जो आए दिन सडको पर हिंसक प्रवृत्तियो के रूप में दिखाई देती है। युवाओं के अपराधी होने में एक और बडा कारण है, उनके परिवार का पद व धन, जिनका युवा पीढी सरेआम दुरुपयोग करके कानून का उल्लंघन करती नजर आती है

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